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यह किसका घर है
कि हुई नहीं अभी तक दिया-बाती!
कभी का हो चुका सूर्यास्त
कभी का घिर चुका अँधेरा
चुप बैठे हैं लोग
घर के आँगन में
कोई कुछ नहीं बोलता
कोई नहीं चौंकता किसी पक्षी की आवाज से
सड़क से गुजरते लोग
इसे देखते हैं कुछ अफसोस से
और गहरी साँस खींचकर बढ़ जाते हैं आगे
भूख ने हिलाया इस घर को
या भूकंप ने
कौन चला गया छोड़कर इस घर को
कौन नहीं लौटा 'अभी आया' कहकर
दुख ने हिलाया इस घर को
या मृत्यु ने
कभी का घिर चुका अँधेरा
हुई नहीं अभी तक दिया-बाती!
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